‘बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ’ से अनजान हैं गाँववाले

  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
  • Whatsapp
  • Telegram
  • Linkedin
  • koo
‘बेटी बचाओ,बेटी पढ़ाओ’ से अनजान हैं गाँववालेप्रतीकात्मक फोटो

नई दिल्ली (भाषा)। अंतरराष्ट्रीय बालिका दिवस की पूर्वसंध्या पर एक बाल अधिकार संगठन ने कहा है कि ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' जैसी केंद्र सरकार की महत्वाकांक्षी योजनाएं बच्चियों के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी नहीं होने के कारण बेअसर साबित हो रही हैं।

‘चाइल्ड राइट्स एंड यू' (क्राई) के अनुसार, ‘बच्चियों पर मौजूदा आंकडे़ सीमित और रुक-रुक कर मिलते हैं, जिससे कई योजनाओं और विकास की रणनीतियों की प्रगति का विश्लेषण करने में रुकावट आती है।''

एनजीओ ने सोमवार को कहा कि अगर बालक-बालिकाओं के लिंग अनुपात के आंकड़े जनगणना के माध्यम से एक दशक में एकत्रित करने की बजाय सालाना या दो साल में एक बार नहीं जुटाए जाते तो जानकारी के अभाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की महत्वाकांक्षी परियोजना ‘बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ' कमजोर रहेगी। क्राई की पदाधिकारी कोमल गणोत्रा ने कहा, ‘बच्चियों और लड़कियों से संबंधित आंकड़े मिलने में लंबा अंतराल, क्रमबद्ध विश्लेषण की कमी और मौजूदा डेटा के सीमित उपयोग से इस बारे में साफ तस्वीर नहीं मिल पाती।'

     

Next Story

More Stories


© 2019 All rights reserved.